Nitesh Verma Poetry
Home
�� Home
Poetry
Articles
Story
Contact
Contact
Thursday, 28 November 2013
..आँखों पे रात आके कुछ ठहर सी जाती हैं..
..अक्सर हर बात कुछ पूरी सी हो जाती हैं..
..ज़िक्र तेरा लबों पे आते-आते कुछ रात सी हो जाती हैं..
..ज़िक्र हैं क्या तेरा..
..मेरे जी का हैं धडकना..
..आँखों पे रात आके कुछ ठहर सी जाती हैं..!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment