Thursday, 28 November 2013

..आँखों पे रात आके कुछ ठहर सी जाती हैं..


..अक्सर हर बात कुछ पूरी सी हो जाती हैं..
..ज़िक्र तेरा लबों पे आते-आते कुछ रात सी हो जाती हैं..
..ज़िक्र हैं क्या तेरा..
..मेरे जी का हैं धडकना..
..आँखों पे रात आके कुछ ठहर सी जाती हैं..!

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