Nitesh Verma Poetry
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Thursday, 24 September 2015
तू जोधा है किसी अकबर की
तू जोधा है किसी अकबर की
तुझे चाह रहा ये शफ्फूदीन हैं।
तू इक नशा है रात बीताने की
तुझे ढूंढ रहा दिल हर रोज़ हैं।
गुजारू हर लम्हा एतिहात से
तुझे भूल रहा मन मेरा चोर हैं।
आ गले लग जा मेरे हमनशी
तुझे सोच रहा मेरा तकदीर हैं।
नितेश वर्मा
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