एक वक्त के लिये अपना बनाया था उसने मुझे
मैं हैरान आखिर क्यूं आजमाया था उसने मुझे।
मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं था पास उसके
मैं भी लौट आया ना रोक मनाया था उसने मुझे।
यूंही मुहब्बत में दो दिल बर्बाद हो ही जाते बेचारें
कसम याद आया कैसे झूठलाया था उसने मुझे।
मुझको अब गुमा-ओ-वफा का कोई भूत नहीं हैं
वर्मा उतर गयी हैं जो भी पिलाया था उसने मुझे।
नितेश वर्मा और उसने मुझे।
मैं हैरान आखिर क्यूं आजमाया था उसने मुझे।
मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं था पास उसके
मैं भी लौट आया ना रोक मनाया था उसने मुझे।
यूंही मुहब्बत में दो दिल बर्बाद हो ही जाते बेचारें
कसम याद आया कैसे झूठलाया था उसने मुझे।
मुझको अब गुमा-ओ-वफा का कोई भूत नहीं हैं
वर्मा उतर गयी हैं जो भी पिलाया था उसने मुझे।
नितेश वर्मा और उसने मुझे।
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