कुछ मेरे अंदर ही अंदर चलता रहता हैं
मेरी खामोशियाँ कुछ ख्वाब बुनती हैं
मैं डरता हूँ
हर बार की तरह
इस बात से
जानें ये भी मुझसे छूटा तो क्या होगा।
नितेश वर्मा और क्या होगा।
मेरी खामोशियाँ कुछ ख्वाब बुनती हैं
मैं डरता हूँ
हर बार की तरह
इस बात से
जानें ये भी मुझसे छूटा तो क्या होगा।
नितेश वर्मा और क्या होगा।
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