Tuesday, 22 September 2015

आँखों में जब नींद होती है

आँखों में जब नींद होती है
और दिल कहीं बेचैन
कोई घड़ी ठहरता है यादों में
दो पल ही सही
मैं मुकरता हूँ हर बात से
हर ख्याली खौफ से
अक्सर मैं डर जाता हूँ
फिर खुद से कहता हूँ
ऐसा नहीं हो सकता कभी
मेरे घर में आग.. कभी नहीं।

नितेश वर्मा

No comments:

Post a Comment