आँखों में जब नींद होती है
और दिल कहीं बेचैन
कोई घड़ी ठहरता है यादों में
दो पल ही सही
मैं मुकरता हूँ हर बात से
हर ख्याली खौफ से
अक्सर मैं डर जाता हूँ
फिर खुद से कहता हूँ
ऐसा नहीं हो सकता कभी
मेरे घर में आग.. कभी नहीं।
नितेश वर्मा
और दिल कहीं बेचैन
कोई घड़ी ठहरता है यादों में
दो पल ही सही
मैं मुकरता हूँ हर बात से
हर ख्याली खौफ से
अक्सर मैं डर जाता हूँ
फिर खुद से कहता हूँ
ऐसा नहीं हो सकता कभी
मेरे घर में आग.. कभी नहीं।
नितेश वर्मा
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