मुझको हर शख्स छोड़ देता है राहों में
शायद मैं रस्ता हूँ मुसाफिर के चाहों में
वो बुलंद रखता हैं आवाज़ अपनी वर्मा
बेखौफ हैं बच्चा अपनी माँ की बाहों में
नितेश वर्मा और माँ
शायद मैं रस्ता हूँ मुसाफिर के चाहों में
वो बुलंद रखता हैं आवाज़ अपनी वर्मा
बेखौफ हैं बच्चा अपनी माँ की बाहों में
नितेश वर्मा और माँ
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