जो हर रोज़ कहीं लिख के मिटाये जाते हैं
जानें क्यूं कोई खबर ऐसे बनाये जाते हैं
लोग तलाशनें लगे हैं मुर्दों में जान अपनी
ऐसे ही लोग जमानें में सताये जाते हैं
वजह कोई और हैं तुम बदल गये हो
इक आवाज़ खनकती हैं
और कोई मुस्कुराये जाते हैं
शिद्दत यहीं रही थीं इक वजह को लेकर
कुछ ख्वाब कहाँ कहीं यूं बताये जाते हैं
हमको आवाज़ करना था तेरे खामोश शहर में
खबर जहाँ हर रोज़ मातम के दिखाये जाते हैं
टूटा हैं कोई
कोई खामोश हैं तेरे शहर में
बात ज़िंदा के मुँह से मुर्दों को सुनाये जातें हैं
अब तंग आ गया हूँ आ के तू देख ज़रा
कैसा हैं हाल मेरा
कैसा ये इम्तिहां तेरा
बिखरता हूँ हर लम्हा खुद में सारा
मग़र जुबाँ से इक वो दुआ दुहराये जाते हैं
जो हर रोज़ कहीं लिख के मिटाये जाते हैं।
नितेश वर्मा और मिटाये जाते हैं।
जानें क्यूं कोई खबर ऐसे बनाये जाते हैं
लोग तलाशनें लगे हैं मुर्दों में जान अपनी
ऐसे ही लोग जमानें में सताये जाते हैं
वजह कोई और हैं तुम बदल गये हो
इक आवाज़ खनकती हैं
और कोई मुस्कुराये जाते हैं
शिद्दत यहीं रही थीं इक वजह को लेकर
कुछ ख्वाब कहाँ कहीं यूं बताये जाते हैं
हमको आवाज़ करना था तेरे खामोश शहर में
खबर जहाँ हर रोज़ मातम के दिखाये जाते हैं
टूटा हैं कोई
कोई खामोश हैं तेरे शहर में
बात ज़िंदा के मुँह से मुर्दों को सुनाये जातें हैं
अब तंग आ गया हूँ आ के तू देख ज़रा
कैसा हैं हाल मेरा
कैसा ये इम्तिहां तेरा
बिखरता हूँ हर लम्हा खुद में सारा
मग़र जुबाँ से इक वो दुआ दुहराये जाते हैं
जो हर रोज़ कहीं लिख के मिटाये जाते हैं।
नितेश वर्मा और मिटाये जाते हैं।
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