Thursday, 24 September 2015

जब भी वो भींगी आँखों से देखती हैं

जब भी वो भींगी आँखों से देखती हैं
मुहब्बत बेहिसाब छलकती हैं
मेरी आँखों की नमी
उसके आँखों में तैरती हैं
डबडबाये से.. दो चेहरे
एक-दूसरे को खामोश
देर तक तकते हैं.. बहोत देर तक
फिर नजरें वो फेर लेते हैं
ये कहकर तुम्हें तो प्यार हो गया है
मग़र किसी और से.. किसी और से।

नितेश वर्मा और भींगी आँखें।

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