जब भी वो भींगी आँखों से देखती हैं
मुहब्बत बेहिसाब छलकती हैं
मेरी आँखों की नमी
उसके आँखों में तैरती हैं
डबडबाये से.. दो चेहरे
एक-दूसरे को खामोश
देर तक तकते हैं.. बहोत देर तक
फिर नजरें वो फेर लेते हैं
ये कहकर तुम्हें तो प्यार हो गया है
मग़र किसी और से.. किसी और से।
नितेश वर्मा और भींगी आँखें।
मुहब्बत बेहिसाब छलकती हैं
मेरी आँखों की नमी
उसके आँखों में तैरती हैं
डबडबाये से.. दो चेहरे
एक-दूसरे को खामोश
देर तक तकते हैं.. बहोत देर तक
फिर नजरें वो फेर लेते हैं
ये कहकर तुम्हें तो प्यार हो गया है
मग़र किसी और से.. किसी और से।
नितेश वर्मा और भींगी आँखें।
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