भाई अक्सर झूठ बोलते है
आँखों की नमी में
एक बड़ा सा एहसास ले के घोलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
बचपन में जिसको देखा था
हर बात पे मुझसे झगड़ता था
उसके गुस्से को और बड़ा
करना कितना अच्छा लगता था
शायद अब वो बड़ा हो गया
गुमसुम-गुमसुम रहता है
ऐसे तो अब ये रहता है
सबसे छुपा के देखा मैंने
कैसे वो सपने टटोलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
दुनियादारी की बीमारी
हित-रिश्तेदारों से लाचारी
लोगों की चलती अखबारी
सबको चुप हो सहते है
देखा है दिल उनका मैंने
कैसे वो महफ़िल में होते है
खट्टी, मिठी, कड़वी यादें
आँसू से अपने तौलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
किसी रोज़ उन आँखों में सपने थे
जैसे भी थे उसके वो अपने थे
तोड़ दिया उस रोज़ उसने
वो जिंदगानी जो उसकी अपनी थी
किसी और के ख्वाब पूरे करते है
कौन कह रहा है वो छोटे होते है
हर दर्द, हर आह को झेलते है
बारिश में भींगी
उस हरी पत्ती की तरह डोलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
मेरे लबों की हँसीं हर पल होती है
वो एक दूर से ख्याले करता है
मुझमें एक रवानी उससे रहती है
बहन की यही कहानी रहती है
भाई के संग हम खुश होते है
हरपल वो चुप-चुप रहते है
और मेरी टूटती ख्वाहिशों के लिये
अपनी जुबां वो खोलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
नितेश वर्मा
आँखों की नमी में
एक बड़ा सा एहसास ले के घोलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
बचपन में जिसको देखा था
हर बात पे मुझसे झगड़ता था
उसके गुस्से को और बड़ा
करना कितना अच्छा लगता था
शायद अब वो बड़ा हो गया
गुमसुम-गुमसुम रहता है
ऐसे तो अब ये रहता है
सबसे छुपा के देखा मैंने
कैसे वो सपने टटोलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
दुनियादारी की बीमारी
हित-रिश्तेदारों से लाचारी
लोगों की चलती अखबारी
सबको चुप हो सहते है
देखा है दिल उनका मैंने
कैसे वो महफ़िल में होते है
खट्टी, मिठी, कड़वी यादें
आँसू से अपने तौलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
किसी रोज़ उन आँखों में सपने थे
जैसे भी थे उसके वो अपने थे
तोड़ दिया उस रोज़ उसने
वो जिंदगानी जो उसकी अपनी थी
किसी और के ख्वाब पूरे करते है
कौन कह रहा है वो छोटे होते है
हर दर्द, हर आह को झेलते है
बारिश में भींगी
उस हरी पत्ती की तरह डोलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
मेरे लबों की हँसीं हर पल होती है
वो एक दूर से ख्याले करता है
मुझमें एक रवानी उससे रहती है
बहन की यही कहानी रहती है
भाई के संग हम खुश होते है
हरपल वो चुप-चुप रहते है
और मेरी टूटती ख्वाहिशों के लिये
अपनी जुबां वो खोलते है
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
भाई अक्सर झूठ बोलते है।
नितेश वर्मा
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