कोई और वजह है घर से निकलने की
मत बोल यूं हर बार मुझसे बदलने की
मैं सँभल जाता हूँ जब भी गिर जाता हूँ
ना सीखा तू मुझको राह पर चलने की
मैंने देखा है आँखों में मुहब्बत उसकी
वो भूल जाती है करकें बात मिलने की
यूं तंग हैं जो इशारों में शायर कहते हैं
आ गए हैं बताने वजह उमर ढलने की
इतनी सी बोझिल हैं जिन्दगी मेरी वर्मा
बेखबर लोग कहते है मुझे संभलने की
नितेश वर्मा
मत बोल यूं हर बार मुझसे बदलने की
मैं सँभल जाता हूँ जब भी गिर जाता हूँ
ना सीखा तू मुझको राह पर चलने की
मैंने देखा है आँखों में मुहब्बत उसकी
वो भूल जाती है करकें बात मिलने की
यूं तंग हैं जो इशारों में शायर कहते हैं
आ गए हैं बताने वजह उमर ढलने की
इतनी सी बोझिल हैं जिन्दगी मेरी वर्मा
बेखबर लोग कहते है मुझे संभलने की
नितेश वर्मा
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