बस दिन गुजरता रहे और कोई बात क्या है
तुम जो समझो हमें हमारी कोई जात क्या है।
घनी रातों में मिलना बारिश के थम जाने पर
समुन्दर की है प्यास तो कोई बिसात क्या है।
निगाहें से पढकर सारी शर्तें पूरी करो उनकी
अब मुहब्बत में ऐसी भी कोई सौगात क्या है।
वहीं तमन्ना उसे कामयाब होने की रही वर्मा
बिन हमसफ़र चले ऐसी कोई बारात क्या है।
नितेश वर्मा और क्या है।
तुम जो समझो हमें हमारी कोई जात क्या है।
घनी रातों में मिलना बारिश के थम जाने पर
समुन्दर की है प्यास तो कोई बिसात क्या है।
निगाहें से पढकर सारी शर्तें पूरी करो उनकी
अब मुहब्बत में ऐसी भी कोई सौगात क्या है।
वहीं तमन्ना उसे कामयाब होने की रही वर्मा
बिन हमसफ़र चले ऐसी कोई बारात क्या है।
नितेश वर्मा और क्या है।
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