मैं तो अपने घर के रस्ते भी भूलती जा रही हूँ और वो मेरे पीछे-पीछे चले आ रहा है। अब चाह के भी मैं नजरें उठा कर उसे ना तो देख सकती हूँ और ना ही अपने घर के उस मोड़ को। जब भी ऐसा कुछ होता है मैं डर जाती हूँ। एक बार तो जब मैंने उसे घूरा था तो वो भी मुझे जोर से घूरने लगा, उस दिन तो कैसे-कैसे बच-बचा के मैं घर आयी थी और आते ही सबसे पहले जोर से और पूरी तेज़ी में दरवाजा भी बंद किया था। हाँलाकि माँ मुझसे मेरी इस बात पर बिगडी जरूर थी, मगर माँ को मनाना इतना मुश्किल भी नहीं था जितना की उससे अपना पीछा छुडाना।
मगर आज तो हद हो गयी है ये तो मुझे रस्ते पर चलने भी नहीं दे रहा, अगर मेरे पास भी रिद्धिका की तरह स्कूटी होती तो मैं नहीं आराम से घर को चली जाती। पर पापा पता ना मेरा ख्याल करते है या फिर मेरी स्कूटी की फिजूलखर्ची से डर के हर बार मुझसे ये कह देते है - बेटा तुम मांगलिक हो ना तुम ये स्कूटी चलाओगी तो ऐक्सीडेंट के चांसेज ज्यादा हो जाऐंगे। और हर बार मैं पापा की बातों से खुद को मना जाती।
लेकिन आज का क्या.. क्या करूँ ..
आ गया एक और मगर वो इससे अच्छा है मेरे घर के पास में ही रहता है, सूरज मगर लोग सब मूरख बुलाते है, मेरा ही आशिक है पुराना वाला, मैं नहीं मानती मगर सब बताते है। मैंने भी काफी कुछ सुना है इसके बारे में फिर आज वो बाइक लेकर आया तो मैं बिना कुछ बोलें उसके बाइक पर बैठ गयी और एक हाथ उसके कंधे पर जा पहुंचा। प्यार में नहीं जी एक डर के कारण।
बाइक फिर उसने पागलों की तरह आगे बढाइ और मैंने पीछे मुडकर उस गली के कुत्ते को देखा तो वो बड़ी मासूमी से मुझे देखे जा रहा था। किसी से बताइयेगा मत मैंने सबसे नज़रें चुराकर उसे मुँह भी चिढा दिया था।
ये आवारा गली के कुत्ते तो और खतरनाक होते है, अब जाकर समझ आया है मुझे। इंसान से भी ज्यादा। 😊
नितेश वर्मा
मगर आज तो हद हो गयी है ये तो मुझे रस्ते पर चलने भी नहीं दे रहा, अगर मेरे पास भी रिद्धिका की तरह स्कूटी होती तो मैं नहीं आराम से घर को चली जाती। पर पापा पता ना मेरा ख्याल करते है या फिर मेरी स्कूटी की फिजूलखर्ची से डर के हर बार मुझसे ये कह देते है - बेटा तुम मांगलिक हो ना तुम ये स्कूटी चलाओगी तो ऐक्सीडेंट के चांसेज ज्यादा हो जाऐंगे। और हर बार मैं पापा की बातों से खुद को मना जाती।
लेकिन आज का क्या.. क्या करूँ ..
आ गया एक और मगर वो इससे अच्छा है मेरे घर के पास में ही रहता है, सूरज मगर लोग सब मूरख बुलाते है, मेरा ही आशिक है पुराना वाला, मैं नहीं मानती मगर सब बताते है। मैंने भी काफी कुछ सुना है इसके बारे में फिर आज वो बाइक लेकर आया तो मैं बिना कुछ बोलें उसके बाइक पर बैठ गयी और एक हाथ उसके कंधे पर जा पहुंचा। प्यार में नहीं जी एक डर के कारण।
बाइक फिर उसने पागलों की तरह आगे बढाइ और मैंने पीछे मुडकर उस गली के कुत्ते को देखा तो वो बड़ी मासूमी से मुझे देखे जा रहा था। किसी से बताइयेगा मत मैंने सबसे नज़रें चुराकर उसे मुँह भी चिढा दिया था।
ये आवारा गली के कुत्ते तो और खतरनाक होते है, अब जाकर समझ आया है मुझे। इंसान से भी ज्यादा। 😊
नितेश वर्मा
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