वो दिल तोड़ कर मुझसे जुदा हो गयी
जाने ऐसी भी मुझसे क्या ख़ता हो गयी।
गुलाब सी वो मेरे बाहों में बसती रही थी
फिर एक दिन मुझसे वो खफा हो गयी।
अब तो हर मौसम वीराना लगता है मुझे
जब से वो गयी है जिंदगी सजा हो गयी।
न याद आये अब वो तो ये बेहतर है वर्मा
आँखों में ऐसी एक अजीब दुआ हो गयी।
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment