Tuesday, 1 September 2015

ऐसे ही बढता रहे बिहार

ऐसे ही बढता रहे बिहार
इस बार भी नीतीश कुमार
अंधे, गूंगे, बहरों की सरकार
ढोता रहे कोई जिम्मेदार
ऐसे ही बढता रहे बिहार
इस बार भी नीतीश कुमार।

सड़के गढ्ढो वाली रहे
सोच कीचड़ में सने हो
आँखों में अफीम रहे
फूँकते कोई शंखनाद रहे
सब वादों से छुपता रहे बिहार
सूखें धूप में जैसे घर का अचार
हर नुक्कड़ पे लगे रहने दो
तुम पागल हो, पागल रहने दो
खुदा जाने कैसे मिलेगा तुम्हें
उच्च राज्य का अधिकार
ऐसे ही बढता रहे बिहार
इस बार भी नीतीश कुमार।

भ्रष्टाचार, अपराध, बलात्कार
है सदियों से इनके हथियार
कर दो अगला पाँच साल भी इनके हाथ
यही करे बिहार लालू सा हर बार
गरज कहाँ है हमसे किसी को
केंद्र में बैठीं है मोदी सरकार
अब जुबां आकर वो खोले है
अच्छे दिन का वादा था एक व्यापार
सबको हाय-हाय करनी है
बस अपनी जेबें भरनी है
लूट रहा रोज़ सम्मानों का अखबार
ऐसे ही बढता रहे बिहार
इस बार भी नीतीश कुमार।

नितेश वर्मा और बिहार।

‪#‎नज़म‬ का उन्वान मेरे मित्र राज शेखर जी ने लिखा है, वो बिहार, मधेपुरा के रहने वाले हैं। वो फिल्मों के लिये भी गाने लिखते है। मोदी सरकार का नारा भी इन्हीं ने लिखा था, जो काफी मशहूर हुआ था। इसे बताने का कारण बस यह है कि अगर वे यह पढते है तो मुझे उनके विरुद्ध ना समझे, यह मेरी सोच इस सरकार या हर उस सरकार से है जिनके वादे एक वक्त पर आकर झूठ साबित हो जाते हैं।

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