Tuesday, 8 September 2015

कुछ हिसाब से ज्यादा ही करते है पापा

कुछ हिसाब से ज्यादा ही करते है पापा
पूछते नहीं बस हर दाम भरते है पापा।

इन्हीं आँखों से देखा है उनको हर उम्र
अब इन्हीं निगाहों से क्यूं डरते है पापा।

सोच-विचार के अब भी लिखा करते है
मुझमें एक एहसास सा यूं रहते है पापा।

उनकी ताउम्र की कमाई आज लूटी है
घर बच्चे और समाज की सहते है पापा।

नितेश वर्मा

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