Nitesh Verma Poetry
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Tuesday, 22 September 2015
बस बात इतनी ही बनी थी
बस बात इतनी ही बनी थी.. जितनी की बिगड़ीं हैं.. और खामाखाह अब दो लोग हमेशा बिगड़ें रहते हैं। जाने क्यूं की एक आवाज़ ..
नितेश वर्मा और बात।
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