Tuesday, 31 December 2013

..तुम हो शायद तो कुछ राहत हैं..

..तुम हो शायद तो कुछ राहत हैं..
..तुम हो शायद तो कुछ कम मेरी आफत हैं..
..तुम हो तो मैं जुडा इस शहर से हूँ..
..तुम हो तो जी रहा मैं हूँ..
..तुम हो तो सब हैं शमां हैं ये जहां हैं..
..कुछ हालातें हैं कुछ रातें हैं कुछ सँवारें मेरे तरानें हैं..
..बिन तुम्हारें तो हम भी गँवारें हैं..
..बेमतलब बेजुबाँ बेकसक सी हैं ये बातें सारी..
..तुम हो तो शायद ये हैं मेरे..
..तेरे ही खातिर ये लिख्खें मैंनें सारें हैं..!

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