Sunday, 29 December 2013

.. आम आदमी..

..मैं हारुँ..
..जमानें में वो बात कहां..
..और मैं जमानें से जीतूँ..
..तो वो जीत किस बात..
..मैं इक आम आदमी हूँ..
..गर जीतूँ जमाने से तो जश्न किस बात..
..मेरे जश्न में ना हो कोइ सरीक..
..तो मेरी जीत किस बात..
..आम हूँ अकेला हूँ..
..मगर दिल से हूँ मैं निडर..
..गर मन में हो मेरे संकल्प..
..तो डर किस बात..
..बात-बात पे ज़िक्र हो मेरा..
..तो मैं आम किस बात..
..मेरी बातों में हो गर बात..
..जो दिल पे करे सबके राज..
..वो जीत मेरे बात वो जश्न मेरे रात..
..मेरा हाथ हो सबके हाथ के साथ..
..तो ये बात हो सबको रास..
..आम आदमी की आम बात..
..नारे-नारे में हो एक नाम हम सारें एक समान..
..आम आदमी आम बात..
..सबका हित सबका नाम..!

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