कु्छेक बातों से पेहरेदारी हट जायें तो अच्छा हैं
रिश्तेदारों से यहीं बीमारी हट जायें तो अच्छा हैं
कभी अपना भी कुछ अपना सा हो मेरी ज़िंदगी
मेरे सर बोझ किरायेदारी हट जायें तो अच्छा हैं
मुझसे इज़हार का बहाना ढूँढती फिरती रही हैं
कभी उसकी ये होशियारी हट जायें तो अच्छा हैं
कोई और भी तो हैं उसे अपनें करनें की ज़िद में
कही से हो ये दुनियादारी हट जायें तो अच्छा हैं
मेरे यकीन को कभी ये ज़मीं तो नसीब हो वर्मा
इस ज़िंन्दगी से ये बेगारी हट जायें तो अच्छा हैं
नितेश वर्मा
रिश्तेदारों से यहीं बीमारी हट जायें तो अच्छा हैं
कभी अपना भी कुछ अपना सा हो मेरी ज़िंदगी
मेरे सर बोझ किरायेदारी हट जायें तो अच्छा हैं
मुझसे इज़हार का बहाना ढूँढती फिरती रही हैं
कभी उसकी ये होशियारी हट जायें तो अच्छा हैं
कोई और भी तो हैं उसे अपनें करनें की ज़िद में
कही से हो ये दुनियादारी हट जायें तो अच्छा हैं
मेरे यकीन को कभी ये ज़मीं तो नसीब हो वर्मा
इस ज़िंन्दगी से ये बेगारी हट जायें तो अच्छा हैं
नितेश वर्मा
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