Nitesh Verma Poetry
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Friday, 19 June 2015
यूं ही मरता रहा कई बार अजीब अजीब बहाने करकर
वो तो किनारा था उसे पतवार की क्या जरूरत
यूं ही मरता रहा कई बार अजीब अजीब बहाने करकर।
नितेश वर्मा
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