Nitesh Verma Poetry
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Sunday, 7 June 2015
दिल को अब आराम कहाँ होता हैं
दिल को अब आराम कहाँ होता हैं
ये यूं ही अब बेज़ुबाँ बेजुबाँ होता हैं
नितेश वर्मा और आराम।
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