Friday, 28 February 2014

..हैं मुश्किल..

..मुश्किल हैं ये तर्ज़ संभाले रखना..
..मुहब्बत में एक लफ़्ज़ संभाले रखना..
..आँखों में डूबना..
..और मरने से बचाएँ रखना..
..मुहब्बत में तेरे बिना..
..हैं मुश्किल..
..साँसों भरा ये तर्ज़ संभाले रखना..!


..तेरे लफ़्ज़..

..तेरे लफ़्ज़..
..जो तेरे लब से होकर निकले हैं..
..यकींनन मेरे नाम के ही निकले है..
..वर्ना सुर्ख होंठों पे तेरे..
..ये दाग कैसे निकले हैं..?


Wednesday, 26 February 2014

..बहोत दिनों से खामोश था..

..इश्क की बात मैं ये रिस्क से कर आया..
..मुहब्बत की बात मैं लफ्ज़ों से कर आया..
..धडकनों को खामोश मैं उनकें साँसों को छू आया..
..मुहब्बत को अपने उनके आँखों में सँज़ों के आया..
..बहोत दिनों से खामोश था..
..सोच मैं ये उनके दिल में अपनी मुहब्बत जगा आया..
..रात उनकी भी मैं परेशां कर के आया..
..मुहब्बत में मैं भी एक चाल चलके आया..
..फरेब की बातों को अपने ज़ज्बातों से जोड आया..
..मुहब्बत में मैं भी ये क्या करके आया..
..दिल को अपने उनके आँखों में छोड के आया..
..इश्क की बात मैं ये रिस्क से कर आया..
..मुहब्बत की बात मैं लफ्ज़ों से कर आया..!


tere bin naa hoga guzara tere bin na hoga jine ka mera iradaa tere bin main tanha kaise jiya tere bin na hoga ab ye gawara tere bin main saanse kaise bharu tere bin main 

Tuesday, 25 February 2014

..होगे रु-ब-रु..

..मेरे खून में अब भी कुछ बाकी हैं..
..मुहब्बत के बाद भी..
..सर मेरी इल्ज़ाम से बाकी हैं..
..होगे रु-ब-रु..
..जब कभी दिल से मेरे तुम..
..नाम होंठों पे सुन..
..समझ जाओगे..
..क्यूं जान अब भी बाकी हैं..!

मेरे धडकनों में बस जा मेरे लफ्जों पे सज जा 

Sunday, 23 February 2014

..ख्वाबों की रात..

..ख्वाबों की रात तेरी यादों के साथ..
..हर पल हर लम्हा जीया मैं तेरे बातों के साथ..
..होंठों पे नाम तेरा..
..धडकनों में जज़्बात तेरा..
..साथ रातों में जिक्र तेरा..
..मेरे छुपे जज़्बातों में फिक्र तेरा..
..तंग ज़िन्दगी में एक लफ्ज़ तेरा..
..साथ रातों का ये वक्त तेरा..
..ख्वाबों की रातों में..
..मुहब्बत की मेरी बातों में एक हर्फ तेरा..
..स्याही की बातों में..
..मेरी की सारी सजावट में..
..तस्वीर तेरा, ज़िक्र तेरा, फिक्र तेरा..
..मेरा जीना तेरे साथ..
..मेरे मुहब्बत में साथी हमराज़ी तेरे साथ..
..ख्वाबों की रात तेरी यादों के साथ..
..हर पल हर लम्हा जीया मैं तेरे बातों के साथ..!



Saturday, 22 February 2014

..मैंने फिर से गुजर के देखा हैं..

..मैंने फिर से गुजर के देखा हैं..
..शायद यादों में अब वो बात नहीं..
..मैंने रूह से गुजर के ये देखा हैं..
..ख्वाबों में भी कोई हसीं रात नहीं..
..ज़ज्बातों को मैंने दिल से उतार..
..पन्नों पे समेट के देखा हैं..
..मेरे मे वो बात नहीं..
..जो मैंने ज़िन्दगी संभाल के रख्खा हैं..
..ज़िन्दगी में वो बात नहीं..
..मैंने फिर से मौत से गुजर के ये देखा हैं..
..बताने में ये कोई हर्ज़ नहीं..
..खुद को मुहब्बत से गुज़ार के मैंने देखा हैं..
..अंधेरे में खुद को आइनें में निहार के देखा हैं..
..ढल जाएँ उम्र मेरी..
..मैंने शायरी में संभाल के रख्खा हैं..
..मैंने फिर से गुजर के देखा हैं..
..हार हैं मेरी सब में मैनें ये जीत के देखा हैं..!



#Englishversion

..Maine phir se gujar ke dekha hai..
..Shayad yaadoein me ab wo baat nahi..
..Maine rooh se gujar ke ye dekha hai..
..Khwabo me bhi koi hasi raat nahi..
..Jajbaato ko maine dil se utar..
..panno pe samet ke dekha hai..
..Mere me wo baat hi nahi..
..jo maine zindagi sambhal ke rakhha hai..
..Zindagi me ab wo baat nahi..
..Maine phir se maut se gujar ke dekha hai..
..Batane me ye koi harz nahi..
..Khud ko muhabbat se gujar ke maine dekha hai..
..Andhere me khud ko aaiene me nihar ke dekha hai..
..Dhal jaye umr meri..
..maine shayri me sambhal ke rakhha hai..
..Maine phir se gujar ke dekha hai..
..Haar hai meri sabme maine ye jeet ke dekha hai..!

Friday, 21 February 2014

..ख़ंज़र भी ज़ख्मी पडा हैं..!

..मेरे हर लफ्ज़ में ज़ख्म भरा हैं..
..ख़ंज़र से कुरेद के देख लो..
..ख़ंज़र भी ज़ख्मी पडा हैं..!

..ज़िन्दगी मैं एक बेवफा के नाम करता हूँ..

..मैं जो तलाशूं तुझे मुझे मेरा अक्स मिलता हैं..
..तस्वीर तेरी जो जमानें में लेके निकलूं..
..हर-शख्श मुझे धुएँ की तरह मिलता हैं..
..दो पल के सुख के लिए मंज़र-मंज़र मैं दौडता हूँ..
..परेशां ज़िन्दगी से मेरे मैं खुद को बेरुख रखता हूँ..
..ख्वाबों में ज़िक्र तेरा यादों पे पेहरा तेरा..
..ज़िन्दगी मैं एक बेवफा के नाम करता हूँ..
..मुहब्बत की आग में फरेब की बात में..
..मैं खुद का ज़ीना हराम रखता हूँ..
..मैं यादों में तेरी खुद को बर्बाद किएं रखता हूँ..
..इश्क में मैं ये सौ दफा ज़ुर्म करता हूँ..
..खुद को मैं अपनी मंज़िल से दूर किए रखता हूँ..!

..किस मुँह से सुनाओगे शायर वर्मा..

..माना मौत का एक दिन मुअय्यन हैं वर्मा..
..लेकिन देख ज़िन्दगी तेरी ये गुजर गयीं..
..मगर मौत तुझे बर नहीं आती..
..ख़फा हैं मौत तुझसे भी मुहब्बत की तरह..
..मिट जाऐगी पर पास ना आऐगी..
..अब किस मुँह से सुनाओगे शायर वर्मा..
..लफ्ज़ों को भरें बाज़ार जो बेच के आये हो..!

Nitesh Verma Poetry [Audio Version]

Sunday, 16 February 2014

..इस बकवास में..!

..निकला हूँ मैं सच की तालाश में..
..कहीं मैं भी बिक ना जाउँ..
..इस बकवास में..!


..मेरे सीनें में तु कुछ ऐसे सा हैं..

..मेरे सीनें में तु कुछ ऐसे सा हैं..
..जैसें ज़मानें में कुछ पैसें सा हैं..!


..कुछ हैंरान सा हूँ..!



..तुम साथ हो मेरे..
..तो मैं कुछ हैंरान सा हूँ..
..तुमेह साथ अपने देख..
..मैं कुछ परेशान सा हूँ..
..मेरें गीत..
..तुम्हारें भी होंठों पे हैं बसनें लगे..
..इसे सुन मैं कुछ परेशान सा हूँ..
..मैं कुछ नादान सा हूँ..
..जो समझ सारी तेरी बातों को..
..मैं परेशां सा हूँ..
..मैं सारी तेरी बातों से अंजान सा हूँ..
..मैं आशिक हूँ तेरा..
..शायद इसी बातों से..
..मैं कुछ परेशां सा हूँ..
..कुछ हैंरान सा हूँ..!

..ये कैसी हैं मुहब्ब्त..


..सिर्फ तस्वीरों को सीनें से लिए जीएँ जा रहें हैं..
..ये कैसी हैं मुहब्ब्त..
..जो किए तो फिर भी मरें जा रहें हैं..!

..इक राज़ होकर..


..कुछ वक्त सा हो गया हूँ..
..वक्त के साथ होकर..
..बात-बात में बदल जाता हूँ..
..इक राज़ होकर..
..कहानी हैं मेरी अब-भी कुछ अधूरी सी..
..के बात-बात में मैं कुछ..
..इरशाद सा हो जाता हूँ..!

..मुहब्बत में क्या है पैगाम..


..मुहब्बत में क्या है पैगाम..
..कुछ लाये हो तो बताओ..
..दिल है उनका क्यूं रुठा मुझसे..
..कुछ समझ पाये हो तो बताओ..
..दर्द में यूं कब तक समेटोगे मुझे मेरी जाँ..
..कोई तारीख लिखवा के लाये हो तो बताओ..
..हैंरानियों में कब तक डालोगे मुझे..
..ये परेशानियों भरा चेहरा कब तक दिखाओगे मुझे..
..ज़िन्दगी को कब-तक बर्बाद बनाओगे..
..किसी के विरह में कब तक मुझसे दुश्मनी निभाओगे..
..कोई उम्र बनवा के लाये हो तो बताओ..
..या मुहब्बत में मेरी..
..मौत लिखवा के लाये हो तो बताओ..
..कब-तक उसके याद को सीनें से लगाओगे..
..रात तो रात अब दिन को भी मेरे कालिख पुतवाओगे..
..सनम हार गया मैं तेरे आगे..
..क्या ये फिर से सुनने आये हो..
..मुहब्बत की आड में फिर वहीं दुश्मनी निभाने आये हो..
..दिल को मेरे आज़ फिर रोता हुआ देखने आये हो..
..ज़िन्दगी को मेरे फिर बर्बाद करने आये हो..
..या आँखों को मेरे फिर से रोता हुआ देखने आये हो..
..बेपरवाह, बेमतलब, बेकार हूँ मैं ये बताने आये हो..
..या कितने हो खुदगर्ज़ तुम ये जताने आये हो..
..मुहब्बत में फिर दुश्मनी निभाने आये हो..
..दिल को फिर से दुखाने आये हो..
..मुहब्बत में क्या है पैगाम..
..कुछ लाये हो तो बताओ..
..दिल है उनका क्यूं रुठा मुझसे..
..कुछ समझ पाये हो तो बताओ..!

..तस्वीर को मेरे..


..अब भी वो मुझसे..
..कुछ रुठें से रहते हैं..
..तस्वीर को मेरे..
..मोड के सीने से रक्खें रहते हैं..!