Friday, 21 February 2014

..किस मुँह से सुनाओगे शायर वर्मा..

..माना मौत का एक दिन मुअय्यन हैं वर्मा..
..लेकिन देख ज़िन्दगी तेरी ये गुजर गयीं..
..मगर मौत तुझे बर नहीं आती..
..ख़फा हैं मौत तुझसे भी मुहब्बत की तरह..
..मिट जाऐगी पर पास ना आऐगी..
..अब किस मुँह से सुनाओगे शायर वर्मा..
..लफ्ज़ों को भरें बाज़ार जो बेच के आये हो..!

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