Friday, 21 February 2014

..ज़िन्दगी मैं एक बेवफा के नाम करता हूँ..

..मैं जो तलाशूं तुझे मुझे मेरा अक्स मिलता हैं..
..तस्वीर तेरी जो जमानें में लेके निकलूं..
..हर-शख्श मुझे धुएँ की तरह मिलता हैं..
..दो पल के सुख के लिए मंज़र-मंज़र मैं दौडता हूँ..
..परेशां ज़िन्दगी से मेरे मैं खुद को बेरुख रखता हूँ..
..ख्वाबों में ज़िक्र तेरा यादों पे पेहरा तेरा..
..ज़िन्दगी मैं एक बेवफा के नाम करता हूँ..
..मुहब्बत की आग में फरेब की बात में..
..मैं खुद का ज़ीना हराम रखता हूँ..
..मैं यादों में तेरी खुद को बर्बाद किएं रखता हूँ..
..इश्क में मैं ये सौ दफा ज़ुर्म करता हूँ..
..खुद को मैं अपनी मंज़िल से दूर किए रखता हूँ..!

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