Sunday, 16 February 2014

..मुहब्बत में क्या है पैगाम..


..मुहब्बत में क्या है पैगाम..
..कुछ लाये हो तो बताओ..
..दिल है उनका क्यूं रुठा मुझसे..
..कुछ समझ पाये हो तो बताओ..
..दर्द में यूं कब तक समेटोगे मुझे मेरी जाँ..
..कोई तारीख लिखवा के लाये हो तो बताओ..
..हैंरानियों में कब तक डालोगे मुझे..
..ये परेशानियों भरा चेहरा कब तक दिखाओगे मुझे..
..ज़िन्दगी को कब-तक बर्बाद बनाओगे..
..किसी के विरह में कब तक मुझसे दुश्मनी निभाओगे..
..कोई उम्र बनवा के लाये हो तो बताओ..
..या मुहब्बत में मेरी..
..मौत लिखवा के लाये हो तो बताओ..
..कब-तक उसके याद को सीनें से लगाओगे..
..रात तो रात अब दिन को भी मेरे कालिख पुतवाओगे..
..सनम हार गया मैं तेरे आगे..
..क्या ये फिर से सुनने आये हो..
..मुहब्बत की आड में फिर वहीं दुश्मनी निभाने आये हो..
..दिल को मेरे आज़ फिर रोता हुआ देखने आये हो..
..ज़िन्दगी को मेरे फिर बर्बाद करने आये हो..
..या आँखों को मेरे फिर से रोता हुआ देखने आये हो..
..बेपरवाह, बेमतलब, बेकार हूँ मैं ये बताने आये हो..
..या कितने हो खुदगर्ज़ तुम ये जताने आये हो..
..मुहब्बत में फिर दुश्मनी निभाने आये हो..
..दिल को फिर से दुखाने आये हो..
..मुहब्बत में क्या है पैगाम..
..कुछ लाये हो तो बताओ..
..दिल है उनका क्यूं रुठा मुझसे..
..कुछ समझ पाये हो तो बताओ..!

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