Nitesh Verma Poetry
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Sunday, 22 March 2015
सुकून ढूँढता हैं दिल अब कुछ अच्छा नहीं लगता
सुकून ढूँढता हैं दिल अब कुछ अच्छा नहीं लगता
बातों बातों में करना रात बर्बाद अच्छा नहीं लगता
नितेश वर्मा
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