दिल टूटता हैं आदमी संभल जाता हैं
यकीं से पहले आदमी बदल जाता हैं
इक नज़र की मुहब्बत,कितनी हँसी
जीं सोचता नहीं यूहीं मचल जाता हैं
बचातें हर-वक्त वो अपनी बुनियादी
यह कश्मकस और घर जल जाता हैं
और क्या बयान करें गज़लों में वर्मा
ये सब जुबां से यू ही फिसल जाता हैं
नितेश वर्मा
यकीं से पहले आदमी बदल जाता हैं
इक नज़र की मुहब्बत,कितनी हँसी
जीं सोचता नहीं यूहीं मचल जाता हैं
बचातें हर-वक्त वो अपनी बुनियादी
यह कश्मकस और घर जल जाता हैं
और क्या बयान करें गज़लों में वर्मा
ये सब जुबां से यू ही फिसल जाता हैं
नितेश वर्मा
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