चलतें हुएं कदम रूक से गये हैं
हम इस भीड में छुप से गये हैं
नहीं चाहतें हैं हम बताएं सबको
वो मिज़ाजे-बात बदल से गये हैं
ज़िंदगी नें कुछ कम ना किया हैं
क्यूं बताएं के क्यूं रूठ से गये हैं
वो ख्याल-ए-तमन्ना वो रातों का
हर-पहर वो मुझमें डूब से गये हैं
थीं ठहराव कहीं दुश्मनें जात जानें
हम सामाजी-बात बिखर से गये हैं
कोई हर्जाना भर के रिहा हुआ हैं
और ता-उम्र होके हम कैद से गये हैं
नितेश वर्मा
हम इस भीड में छुप से गये हैं
नहीं चाहतें हैं हम बताएं सबको
वो मिज़ाजे-बात बदल से गये हैं
ज़िंदगी नें कुछ कम ना किया हैं
क्यूं बताएं के क्यूं रूठ से गये हैं
वो ख्याल-ए-तमन्ना वो रातों का
हर-पहर वो मुझमें डूब से गये हैं
थीं ठहराव कहीं दुश्मनें जात जानें
हम सामाजी-बात बिखर से गये हैं
कोई हर्जाना भर के रिहा हुआ हैं
और ता-उम्र होके हम कैद से गये हैं
नितेश वर्मा
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