Sunday, 1 January 2017

प्राप्त प्राचीन सांस्कृतिक सभ्यताओं से

प्राप्त प्राचीन सांस्कृतिक सभ्यताओं से
मौलिकताओं के हनन का वर्णन
या उनका उद्भवलेखन नहीं हुआ कभी
वैधानिक एवं संवैधानिक अधिकारों का
अनुरूपण या स्थगित व्यवस्थाओं पर
किसी त्रुटिवश विवेचन नहीं हुआ कभी
मानवाधिकार या उनपर समग्र टिप्पणी
जातिगत या परंपरागत शैली में
परिवर्तन का प्रयोजन नहीं हुआ कभी
हुआ है कुछ तो मात्र इस पृष्ठभूमि पर
अन्याय के सिवाय कुछ और नहीं
जिसका प्रस्तुतीकरण नहीं हुआ कभी।
नितेश वर्मा

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