Sunday, 1 January 2017

घर भी हुआ मेरा तो बस सराय नाम

घर भी हुआ मेरा तो बस सराय नाम
बेकरारी जिस्म की है तो बराय नाम।
हम पागल है, जो इश्क़ में जाँ देते है
ये दिल तो बस है, एक किराय नाम।
मुहब्बत अज़ीज नहीं है उसको मेरी
वो दौलतमिज़ाजी लब दुहराय नाम।
इस कदर महफ़िल में चुप रहे वर्मा
जैसे सारे लगे थे, अपने पराय नाम।
नितेश वर्मा

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