Monday, 28 October 2013

..इक ख्वाब अँधेरी-धुँधली सी..

..इक ख्वाब अँधेरी-धुँधली सी..
..लेकिन खुद से बेपरवाह बेखौफ मुझसे जुडी..
..लेकिन हाँ कुछ दूर हैं खडी..
..थोडा सा मै और थोडी रात हैं उसका हिस्सा..
..बदलती ज़िन्दगी की तस्वीरों में..
..थोडा वजूद हैं मेरा उसका किस्सा..


..तस्वीरों में ढल गए गुज़र गए बीत गए..
..वो सारें-बात..
..ज़िन्दगी की राह में..
..अब अकेला-तन्हा खडा-पडा हैं उसका खिस्सा..
..टूट गए सारें ख्वाब बिखर गए अरमां सारे..
..अन्धेरा के बाद यूँ जो अचानक सा हुआ सबेरा..
..इक सायां था..
..मेरा मुझसे कुछ जुडा सा..
..वो भी रात बाद अलग सा हो गया..
..जैसे कल सबेरा मैं था खडा अकेला..!

Wednesday, 23 October 2013

..इक बार फिर से..

..इक बार फिर से उठा डाली किसी ने..
..हकीकत को राज़नीति से मिला डाली किसी ने..
..दिल की एहसास को रंगें-सँवरते हाथ को..
..प्रशासन की आग में झोक डाली किसी ने..
..दिल की गहराइयों को..

..खुद में छुपे हुएँ परछाइयों को..
..गली-चौराहों में होती कारवाइयों को..
..अपनी ज़िन्दगानी से फिर ज़ोड डाली किसी ने..
..मुज़रीम के पैर कानून के हाथ..
..बदतमीज की ज़ुबान और सामाज़ की उँगली..
..को फिर से बेवज़ह दिखा डाली किसी ने..
..इक बार फिर से इक मशाल ज़ला डाली किसी ने..
..खुद के वज़ूद को..
..धीरे-धीरे सबके दिल में पहुँचा डाली किसी ने..
..इक बार फिर हक की बात सिखा डाली किसी ने..!

Sunday, 20 October 2013

..इक धुंधली सी रात..

Photo: ..गहरे सन्नाटें काली-कुहरें ठंडी भरी रात..
..यादों में संवरती ये धुंधली सी रात..
..जहाँ कोइ किसी का नहीं..
..यादों के सिवा यहाँ कोइ और किसी का नहीं..
..भींगी हल्की-हल्की बारिशों के बीच..
..चेहरे के उपर गिरते बारिशों की बूंद..
..गर्म ख्वाबों के बीच..
..तेरी घनी ज़ुल्फों के बीच..
..इक एहसास..
..आँखों से बूंदों के रूप में उतरते..
..मेरे सारें ख्वाब..
..काली-घनी कुहासे से भरी इक धुंधली सी रात..
..दिल की बात आँखों में भरे आँसू से कहे-बिन बयां..
..गर्म प्यालों के बीच..
..बनी तेरी खुबसूरत सी इक तस्वीर..
..ठंडी हवाओं के बीच..
..इक पिघलते एहसास का होना..
..घनी-काली रातों के बीच..
..बहती हवावों बारिशों के बीच..
..तेरा मुझमें होना तेरा मुझसे होना..
..सारी दिलकशी बातों का एहसास होना..
..रातों के बीच ख्वाबों से परे..
..तेरा मेरे एहसासों में होना..
..मेरा मेरे रूह से हैं होना..!

..गहरे सन्नाटें काली-कुहरें ठंडी भरी रात..
..यादों में संवरती ये धुंधली सी रात..
..जहाँ कोइ किसी का नहीं..
..यादों के सिवा यहाँ कोइ और किसी का नहीं..
..भींगी हल्की-हल्की बारिशों के बीच..
..चेहरे के उपर गिरते बारिशों की बूंद..
..गर्म ख्वाबों के बीच..
..तेरी घनी ज़ुल्फों के बीच..
..इक एहसास..
..आँखों से बूंदों के रूप में उतरते..
..मेरे सारें ख्वाब..
..काली-घनी कुहासे से भरी इक धुंधली सी रात..
..दिल की बात आँखों में भरे आँसू से कहे-बिन बयां..
..गर्म प्यालों के बीच..
..बनी तेरी खुबसूरत सी इक तस्वीर..
..ठंडी हवाओं के बीच..
..इक पिघलते एहसास का होना..
..घनी-काली रातों के बीच..
..बहती हवावों बारिशों के बीच..
..तेरा मुझमें होना तेरा मुझसे होना..
..सारी दिलकशी बातों का एहसास होना..
..रातों के बीच ख्वाबों से परे..
..तेरा मेरे एहसासों में होना..
..मेरा मेरे रूह से हैं होना..!

Friday, 18 October 2013

..दिल की बात..

..दिल तो कहना बहोत कुछ चाहता हैं..
..खिलाफ तेरे..

..मगर होंठों को मेरी..
..इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ होने की..
..बातें सारी तेरी..
..संगीन-ज़ुर्म भरी..
..चाहता हैं दिल मिटा दे इसे यादों से मेरी..
..मगर मेरे रूह को इज़ाज़त नहीं..
..तेरे खिलाफ जीने की..
..दिल चाहता हैं हटा दे..
..सारे रश्मों-रिवाज़ों को..
..सामाज़ की बातों को..
..कर दे किनारें अपने सारे अधूरे ख्वाबों को..
..छुडा के दामन फरेब से अपना..
..ज़ीने की इक नयी सी कुछ उम्मीद जगा दे..
..दिल चाहता हैं कुछ ऐसा हो जाए..
..जो बात पन्नों पे सज़ाऊँ..
..तो आँखों से गिरते बूँदे ना छुपाऊँ..
..दिल चाहता हैं कोइ बात भी बनाऊं..
..तो ज़माने के नज़र में आ ज़ाऊँ..
..दिल चाहता हैं लिख्खें ये सारें मेरे अल्फाज़..
..महबूब मेरे तुम होंठों से इक बार फिर दुहराओ..
..दिल चाहता हैं ये सारी दिल की बातें..
..तुम तक कैसे भी पहुँचाऊं..
..दिल कहना चाहता तो और कुछ बहोत हैं..
..मगर ज़ां ये तुमेह मैं कैसे समझाऊं..
..दिल की बात तेरे दिल तक कैसे पहुचाऊँ..!

Tuesday, 15 October 2013

..हर काली रात के बाद..


..इक धीमी सी दबी सी..
..लेकिन हाँ मगर जीनें सी..
..आवाज़ मुझे रातों के बीच..
..सडक किनारें से सुनाइ देती हैं..
..ठंडी कंपकंपाती बहती हवाओं के बीच..
..पत्तों से सर छुपाती..
..इक मासूम सी तस्वीर दिखाईं देती हैं..
..काली-घनी रातों के बीच..
..इक माँ की बेटी रोती दिखाईं देती हैं..
..सर छुपाने को ज़गह नहीं..
..दामन बारिशों के बीच..
..भींगती दिखाईं देती हैं..
..होंठों की परेशानियॉ आंखों से दिखाईं देती हैं..
..घनी काली-रातों के बीच भी..
..ना ज़ानें सब-कुछ कैसे साफ-साफ दिखाईं देती हैं..
..सारी परेशानियों के बीच..
..इक दरिंदे की तस्वीर साफ़ दिखाईं देती हैं..
..दाँतों के बीच फंसी होंठों से निकली ओहहह की आवाज़..
..गहरें सन्नाटें में कुछ चींख सी सुनाईं देती हैं..
..हालतें मज़बूर हाथें कमज़ोर..
..आँखों के बीच भरे समुन्दर से भंवर दिखाईं देती हैं..
..इस घनी-कुहरी-काली रातों के बीच..
..इक मासुम की निकली हाय साफ़-साफ़ सी सुनाईं देती हैं..
..पता ना बात ऐसी क्या हैं..?
..ज़ो सारी प्रशाशन, पुलिस, सत्ता के ठेकेदारों को ये रास आ रही हैं..
..कोइ होगी ज़रूर बात इसमें..
..आवाजें मेरी भी कुछ धीमी ही निकलती हैं..
..डर किस बात की हैं कुछ समझ में नहीं आती..
..और ना ही कभी कुछ दिखाईं देती हैं..
..लेकिन हर काली रात के बाद..
..इक मासूम की ज़ान जाती साफ़-साफ़ दिखाईं देती हैं..!

Sunday, 13 October 2013

..गहरी साज़िश नहीं..


..नींद आँखों में बंध नही रहीं..
..होंठ बस यूँ ही कुछ खामोश हैं..
..तस्वीर तेरी चेहरें की..
..आँखों से अब्ब उतरती नहीं..
..रातें भी कुछ बेज़ान सी है..
..मौत भी अब्ब आती नहीं..
..सवेरा का कुछ पता नहीं..
..होंठों से निकलती..
..मेरी ये सारी बातें कुछ अंज़ान सी हैं..
..हसरतें दिल की अब संभलती नहीं..
..सुनाने को हाल ए दिल कोइ अब्ब मिलता नहीं..
..बातें मेरी मुझे खुद अब समझाती नहीं..
..शिकवा गीला कोइ क्या होगा..
..ज़माने या तुमसे मुझे कभी..
..एतबार किया था तुमपे..
..कोइ ये मेरी गहरी साज़िश नहीं थी..!

Saturday, 12 October 2013

..माता रानी..

..माता रानी माता रानी अम्बे माँ..
..शेरावाली शेरावाली जगदम्बे माँ..
..मइयां तेरे हैं दर पे मैं आया..
..कबसे बनके खडा रहा मैं बेसहारा..
..मिला हैं ये मुझको..


..तेरे दर का अब तो सहारा ओ मइयां ...यां..
..मैं ना तो जानू ना कुछ भी अब मांगू..
..तेरे दर्शन को अब मैं नैंनों में संवारू..
..मइयां भक्ति को अल्फाज़ों को अब मैं कैसे इनपे उतारू..
..रुठी रातों तेरे चरणों में मैं जाउँ सोउ गहरी नींद..
..तेरे ही चरणों के सहारें अब मैं तो जिए जाउं ओ मइयां ...यां..
..आया तेरे हूँ दर पे मैं कबसे..
..सुनले मेरा तो कभी कुछ कहना..
..आंसू मिटाने के बहाने..
..दिल का दर्द मिटा जा कभी तो मइयां ...यां... ओ मइयां  ...यां..
..माता रानी माता रानी अम्बे माँ..
..शेरावाली शेरावाली जगदम्बे माँ..!

Friday, 11 October 2013

..इक बात हैं..

..इक बात हैं जो होंठों से उतर-कर पन्नों पे आती नहीं..
..इक राज़ हैं जो सीने से निकल-कर तुमेह समझाती नहीं..
..इक दरियां हैं..
..कुछ समन्दर सा मुझमें..
..जो मेरे होने का एहसास दिलाती नहीं..
..इक शब हैं..
..शमां हैं बीती कुछ रातें हैं..


..इक तन्हा ज़िन्दगी में मेरे बस यहीं कुछ खास हैं..
..वर्ना सब इक-दो लफ़्ज़ों के सहारें मनघडन बकवास हैं..
..इक रात हैं जो काली और भयानक हैं..
..इक साथ हैं जो थामें टूटी इक पतली लाठी हैं..
..इक रब हैं जो मेरी सुनता नहीं..
..इक मौत हैं जो मेरी आती नहीं..
..इक ये जो बेज़ान ज़िन्दगी हैं मेरी जो मेरी सुनती नहीं..
..ये इक कहानी हैं जो मेरी खत्म होती नहीं..
..इक रास्ता हैं जिसे मन्ज़िल कभी मिलती नहीं..
..इक कहावत हैं जो कभी सीने से मिटती नहीं..
..इक तूफान हैं जो थमता नहीं..
..इक आग हैं जो सीने की मेरी कभी बुझती नहीं..
..इक बात हैं जो होंठों से उतर-कर पन्नों पे आती नहीं..!

Wednesday, 9 October 2013

..तस्वीरों में मैंने..

Photo: ..यूं तस्वीरों में मैंने ढलती दुनियाँ को देखा हैं..
..आंखों के सहारें मैनें मोती को उतरते देखा हैं..
..यूं तो देखा हैं मैनें बहोत कुछ दुनियादारी में..
..पर क्या बताउँ आज़ जो देखा हैं मैनें तेरी आँखों में..
..इशारें को तेरे मैंने अपने ज़िन्दगी के सहारे में देखा हैं..
..देखा तो हैं बहोत कुछ..
..पर तेरी हाथों में जो अपना नाम देखा हैं..
..बस यहीं ज़िन्दगी में मैनें इक खुशनुमां एहसास देखा हैं..
..तेरे होठों पे छुपा बस इक नाम मेरा देखा हैं..
..इशक की फरमाइश में मैनें बस इक नाम तेरा देखा हैं..!

..यूं तस्वीरों में मैंने ढलती दुनियाँ को देखा हैं..
..आंखों के सहारें मैनें मोती को उतरते देखा हैं..
..यूं तो देखा हैं मैनें बहोत कुछ दुनियादारी में..
..पर क्या बताउँ आज़ जो देखा हैं मैनें तेरी आँखों में..
..इशारें को तेरे मैंने अपने ज़िन्दगी के सहारे में देखा हैं..
..देखा तो हैं बहोत कुछ..
..पर तेरी हाथों में जो अपना नाम देखा हैं..
..बस यहीं ज़िन्दगी में मैनें इक खुशनुमां एहसास देखा हैं..
..तेरे होठों पे छुपा बस इक नाम मेरा देखा हैं..
..इशक की फरमाइश में मैनें बस इक नाम तेरा देखा हैं..!

Tuesday, 8 October 2013

..हर्ज़ ही क्या होगी तुम्हें..

..रात की बात सुबह करु तो..
..आँखों की बात जुबां से करु तो..
..दिल की बात शायरी से करु तो..
..जाने-मन मुहब्बत की बात होंठों से करु तो..
..हर्ज़ ही क्या होगी तुम्हें..

Photo: ..रात की बात सुबह करु तो..
..आँखों की बात जुबां से करु तो..
..दिल की बात शायरी से करु तो..
..जाने-मन मुहब्बत की बात होंठों से करु तो..
..हर्ज़ ही क्या होगी तुम्हें..
..अगर तस्वीर की बात तस्वीर से करु तो..
..ये पुरानें हो चलें हैं..
..सारें पैतरें मेरे अगर ये बात गज़लों से करु तो..
..तुमको अपना करने की बात..
..तुमसे नहीं तुम्हारें दिल से करु तो..
..इन्कार की बात इज़हार से समझूं तो..
..आखिर ऐसा करु क्या..
..जो ये बात मैं खुद से नहीं तुमसे करु..

..अगर तस्वीर की बात तस्वीर से करु तो..
..ये पुरानें हो चलें हैं..
..सारें पैतरें मेरे अगर ये बात गज़लों से करु तो..
..तुमको अपना करने की बात..
..तुमसे नहीं तुम्हारें दिल से करु तो..
..इन्कार की बात इज़हार से समझूं तो..
..आखिर ऐसा करु क्या..
..जो ये बात मैं खुद से नहीं तुमसे करु.. 

Sunday, 6 October 2013

..तुम हो की..

..तुम हो की ये साँसें हैं शमां हैं..
..तुम हो की ये जुबां हैं ये लफ़्ज़ हैं..
..तुम हो की सुबह हैं शामें हैं और ये शबनमीं रातें हैं..
..तुम हो की मैं हूँ मेरी बातें हैं..
..तुम हो की ये लिखना हैं..
..तुम हो की मैं हूँ..

Photo: ..तुम हो की ये साँसें हैं शमां हैं..
..तुम हो की ये जुबां हैं ये लफ़्ज़ हैं..
..तुम हो की सुबह हैं शामें हैं और ये शबनमीं रातें हैं..
..तुम हो की मैं हूँ मेरी बातें हैं..
..तुम हो की ये लिखना हैं..
..तुम हो की मैं हूँ..
..तुम हो की ये शब है महफिल हैं..
..तुम हो की मुझसे जुडता ये सारा जमाना हैं..
..तुम हो तो ये लिख्खें मेरे सारें हैं..
..बिन तेरे ये काहें के मेरे पूरे या अधूरें हैं..
..तुम ही हो तुम्हारी यादें हैं..
..मेरी ज़िन्दगी की यहीं इक ज़िन्दगानी हैं..
..तुम तुम और सिर्फ तुम ही मेरी इक कहानी हो..!

..तुम हो की ये शब है महफिल हैं..
..तुम हो की मुझसे जुडता ये सारा जमाना हैं..
..तुम हो तो ये लिख्खें मेरे सारें हैं..
..बिन तेरे ये काहें के मेरे पूरे या अधूरें हैं..
..तुम ही हो तुम्हारी यादें हैं..
..मेरी ज़िन्दगी की यहीं इक ज़िन्दगानी हैं..
..तुम तुम और सिर्फ तुम ही मेरी इक कहानी हो..!