..इक बार फिर से उठा डाली किसी ने..
..हकीकत को राज़नीति से मिला डाली किसी ने..
..दिल की एहसास को रंगें-सँवरते हाथ को..
..प्रशासन की आग में झोक डाली किसी ने..
..दिल की गहराइयों को..
..खुद में छुपे हुएँ परछाइयों को..
..गली-चौराहों में होती कारवाइयों को..
..अपनी ज़िन्दगानी से फिर ज़ोड डाली किसी ने..
..मुज़रीम के पैर कानून के हाथ..
..बदतमीज की ज़ुबान और सामाज़ की उँगली..
..को फिर से बेवज़ह दिखा डाली किसी ने..
..इक बार फिर से इक मशाल ज़ला डाली किसी ने..
..खुद के वज़ूद को..
..धीरे-धीरे सबके दिल में पहुँचा डाली किसी ने..
..इक बार फिर हक की बात सिखा डाली किसी ने..!
..हकीकत को राज़नीति से मिला डाली किसी ने..
..दिल की एहसास को रंगें-सँवरते हाथ को..
..प्रशासन की आग में झोक डाली किसी ने..
..दिल की गहराइयों को..
..खुद में छुपे हुएँ परछाइयों को..
..गली-चौराहों में होती कारवाइयों को..
..अपनी ज़िन्दगानी से फिर ज़ोड डाली किसी ने..
..मुज़रीम के पैर कानून के हाथ..
..बदतमीज की ज़ुबान और सामाज़ की उँगली..
..को फिर से बेवज़ह दिखा डाली किसी ने..
..इक बार फिर से इक मशाल ज़ला डाली किसी ने..
..खुद के वज़ूद को..
..धीरे-धीरे सबके दिल में पहुँचा डाली किसी ने..
..इक बार फिर हक की बात सिखा डाली किसी ने..!
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