..रात की बात सुबह करु तो..
..आँखों की बात जुबां से करु तो..
..दिल की बात शायरी से करु तो..
..जाने-मन मुहब्बत की बात होंठों से करु तो..
..हर्ज़ ही क्या होगी तुम्हें..
..अगर तस्वीर की बात तस्वीर से करु तो..
..ये पुरानें हो चलें हैं..
..सारें पैतरें मेरे अगर ये बात गज़लों से करु तो..
..तुमको अपना करने की बात..
..तुमसे नहीं तुम्हारें दिल से करु तो..
..इन्कार की बात इज़हार से समझूं तो..
..आखिर ऐसा करु क्या..
..जो ये बात मैं खुद से नहीं तुमसे करु..
..आँखों की बात जुबां से करु तो..
..दिल की बात शायरी से करु तो..
..जाने-मन मुहब्बत की बात होंठों से करु तो..
..हर्ज़ ही क्या होगी तुम्हें..
..अगर तस्वीर की बात तस्वीर से करु तो..
..ये पुरानें हो चलें हैं..
..सारें पैतरें मेरे अगर ये बात गज़लों से करु तो..
..तुमको अपना करने की बात..
..तुमसे नहीं तुम्हारें दिल से करु तो..
..इन्कार की बात इज़हार से समझूं तो..
..आखिर ऐसा करु क्या..
..जो ये बात मैं खुद से नहीं तुमसे करु..
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