..नींद आँखों में बंध नही रहीं..
..होंठ बस यूँ ही कुछ खामोश हैं..
..तस्वीर तेरी चेहरें की..
..आँखों से अब्ब उतरती नहीं..
..रातें भी कुछ बेज़ान सी है..
..मौत भी अब्ब आती नहीं..
..सवेरा का कुछ पता नहीं..
..होंठों से निकलती..
..मेरी ये सारी बातें कुछ अंज़ान सी हैं..
..हसरतें दिल की अब संभलती नहीं..
..सुनाने को हाल ए दिल कोइ अब्ब मिलता नहीं..
..बातें मेरी मुझे खुद अब समझाती नहीं..
..शिकवा गीला कोइ क्या होगा..
..ज़माने या तुमसे मुझे कभी..
..एतबार किया था तुमपे..
..कोइ ये मेरी गहरी साज़िश नहीं थी..!
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