Sunday, 6 October 2013

..तुम हो की..

..तुम हो की ये साँसें हैं शमां हैं..
..तुम हो की ये जुबां हैं ये लफ़्ज़ हैं..
..तुम हो की सुबह हैं शामें हैं और ये शबनमीं रातें हैं..
..तुम हो की मैं हूँ मेरी बातें हैं..
..तुम हो की ये लिखना हैं..
..तुम हो की मैं हूँ..

Photo: ..तुम हो की ये साँसें हैं शमां हैं..
..तुम हो की ये जुबां हैं ये लफ़्ज़ हैं..
..तुम हो की सुबह हैं शामें हैं और ये शबनमीं रातें हैं..
..तुम हो की मैं हूँ मेरी बातें हैं..
..तुम हो की ये लिखना हैं..
..तुम हो की मैं हूँ..
..तुम हो की ये शब है महफिल हैं..
..तुम हो की मुझसे जुडता ये सारा जमाना हैं..
..तुम हो तो ये लिख्खें मेरे सारें हैं..
..बिन तेरे ये काहें के मेरे पूरे या अधूरें हैं..
..तुम ही हो तुम्हारी यादें हैं..
..मेरी ज़िन्दगी की यहीं इक ज़िन्दगानी हैं..
..तुम तुम और सिर्फ तुम ही मेरी इक कहानी हो..!

..तुम हो की ये शब है महफिल हैं..
..तुम हो की मुझसे जुडता ये सारा जमाना हैं..
..तुम हो तो ये लिख्खें मेरे सारें हैं..
..बिन तेरे ये काहें के मेरे पूरे या अधूरें हैं..
..तुम ही हो तुम्हारी यादें हैं..
..मेरी ज़िन्दगी की यहीं इक ज़िन्दगानी हैं..
..तुम तुम और सिर्फ तुम ही मेरी इक कहानी हो..!

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