Tuesday, 15 November 2016

यूं ही एक ख़याल सा..

वो मुस्कुरा कर तुमसे घंटों गले तो लगा रहता होगा.. तुम्हारे जिस्म से चिपककर सर्दियों की कई रात भी गुजारी होंगी.. पर तुम्हारे सीने से लगकर कभी खुल के नहीं रोया होगा.. तुम्हारी गोद में सिर रखकर कभी नहीं सोया होगा।
बातें तो तुमसे हज़ार की होंगी लेकिन दिल की धड़कनों को कभी सुनाया नहीं होगा.. वो तुम्हारी सारी tashan तो पूरी करता होगा.. लेकिन उसके अन्दर क्या चल रहा है वो यह चाहकर भी कभी तुम्हें नहीं बताया होगा।
उसकी आँखें हज़ार सवाल करती हैं कभी तुम उनमें उतर कर देखना, अग़र तुम्हें उनमें डूब ना जाने का ख़ौफ ना हो तब.. अग़र तुम्हें उन तक़लीफ़ों से कोई उबन ना हो तब.. वो फ़िर तुम्हें भी थाम लेगा.. उसे किसी अतीत से तुम ही बाहर ला सकती हो, मैं नहीं। मैं तो बस एक गुजरी हुई दास्तान हूँ.. और तुम माज़ी में उलझी हुई एक ख़ुदगंवार। मेरी मानो तो थोड़ा सफ़र करो और निकल चलो कहीं दूर इस मायाजाल से.. एक हक़ीकत का सितारा तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होगा।

God bless you 😊
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry #YuHiEkKhyaalSa

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