एक वो तस्वीर भी तुम्हारी होगी
जो सीने में बरसों से क़ैद होगी
जिस पर कई ज़ख़्म पले होंगे
जो बगावत भी करती होगी
कई मरतबा मरहम लगे होंगे
उस जिस्म के सलवटों पर
कई छींटे ख़ून के पड़े होंगे
होंठ शुष्क अधमरे से होंगे
हवाएँ भी जिसे जलाती होगी
कोई आँच तन दहकाती होगी
दिल जिसका बिखरा सा होगा
जो ख़याल में यूंही पाग़ल होगी
हर रोज़ जो ख़ुदको ख़ुदसे ही
छिपाती होगी.. डराती भी होगी
जो मुझे कभी ना भूलाती होगी
एक वो तस्वीर भी तुम्हारी होगी।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
जो सीने में बरसों से क़ैद होगी
जिस पर कई ज़ख़्म पले होंगे
जो बगावत भी करती होगी
कई मरतबा मरहम लगे होंगे
उस जिस्म के सलवटों पर
कई छींटे ख़ून के पड़े होंगे
होंठ शुष्क अधमरे से होंगे
हवाएँ भी जिसे जलाती होगी
कोई आँच तन दहकाती होगी
दिल जिसका बिखरा सा होगा
जो ख़याल में यूंही पाग़ल होगी
हर रोज़ जो ख़ुदको ख़ुदसे ही
छिपाती होगी.. डराती भी होगी
जो मुझे कभी ना भूलाती होगी
एक वो तस्वीर भी तुम्हारी होगी।
नितेश वर्मा
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