Monday, 6 October 2014

आया मैं [Aaya Main]

जब अदब से पेश होके सबसे आया मैं
लौट फिर इस देश को अपनें आया मैं

इज्जत बची रही इन बेशर्म आँखों की
लूटी थीं जब कायनात तो रो आया मैं

दरिया पार की समुन्दर की प्यास थीं
भूख थीं बडी परिंदो को मार आया मैं

नफरत ही रही थीं ता-उम्र इस जहन में
मरा तो कफ़न संग सब जला आया मैं

बडी चाहत थीं सवारें हम भी इक जाँ
रिश्वत के आगें ये सब गँवा आया मैं

हैं कोई बात ऐसी जो हम बताएँ वर्मा
जब भूले सब तो घर वो भूला आया मैं

नितेश वर्मा

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