मिला जो सुकून अभ्भी रहा यें तन्हा दिल
कैसे कहूं बिन-तेरे, कैसे रहा ये तन्हा दिल
हिसाबों की किताब, ये मंज़िल की परवाह
सताया कुछ ऐसा, रूठा रहा ये तन्हा दिल
झूठ पे झूठ, बस दिल लगा के बैठे हुएं हैं
किनारें आया हैं अब, मेरा ये तन्हा दिल
मालूम थीं मुझे हर-बात हर-रात की तरह
फैसला हुआ कैसा जो टूटा ये तन्हा दिल
लो अब सब मुकर के चलें ही गए होंगें ना
क्यूं हर लाचारी सहता रहा ये तन्हा दिल
नितेश वर्मा
कैसे कहूं बिन-तेरे, कैसे रहा ये तन्हा दिल
हिसाबों की किताब, ये मंज़िल की परवाह
सताया कुछ ऐसा, रूठा रहा ये तन्हा दिल
झूठ पे झूठ, बस दिल लगा के बैठे हुएं हैं
किनारें आया हैं अब, मेरा ये तन्हा दिल
मालूम थीं मुझे हर-बात हर-रात की तरह
फैसला हुआ कैसा जो टूटा ये तन्हा दिल
लो अब सब मुकर के चलें ही गए होंगें ना
क्यूं हर लाचारी सहता रहा ये तन्हा दिल
नितेश वर्मा
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