ये जो हैं तुम्हारें अपनें
तो अपनें क्यूं नहीं होतें
हर बात पे हैं इतनें रूठें
टूटें आईनें अपनें क्यूं नहीं होतें
दिल तो सबका समुन्दर ही हैं
पर खोटें सिक्कें सपनें क्यूं नहीं होतें
बीत चुका ही हैं वो लम्हा मेरा
खबर ये दिल में क्यूं नहीं होतें
ये जो हैं तुम्हारें अपनें
तो अपनें क्यूं नहीं होतें
वीरानियों में भी तलाशतें हैं जो
मुक्कमल शायर क्यूं नहीं होतें
तुम्हारी आँखों में डूबे चेहरें
रातें यें हमारें क्यूं नहीं होतें
दिल किसी और का टूटें भला
और हम यूं ही कहें
ये दर्द हमें क्यूं नहीं होतें
ये जो हैं तुम्हारें अपनें
तो अपनें क्यूं नहीं होतें
बन बैठें हैं सारें तुम्हारें ही
अखबारों में यें इश्तेहार क्यूं नहीं होतें
बनाया गुलाम तो गुलाम ही सही
मगर मगरुर तुम साथ क्यूं नहीं होतें
जुबां फिर दे के वो पलट गए वर्मा
ये आशिकी सफेद क्यूं नहीं होतें
हर बात में झूठ राजनीति हैं
ये आवाज़ अब चुप क्यूं नहीं होतें
ये जो हैं तुम्हारें अपनें
तो अपनें क्यूं नहीं होतें
नितेश वर्मा
तो अपनें क्यूं नहीं होतें
हर बात पे हैं इतनें रूठें
टूटें आईनें अपनें क्यूं नहीं होतें
दिल तो सबका समुन्दर ही हैं
पर खोटें सिक्कें सपनें क्यूं नहीं होतें
बीत चुका ही हैं वो लम्हा मेरा
खबर ये दिल में क्यूं नहीं होतें
ये जो हैं तुम्हारें अपनें
तो अपनें क्यूं नहीं होतें
वीरानियों में भी तलाशतें हैं जो
मुक्कमल शायर क्यूं नहीं होतें
तुम्हारी आँखों में डूबे चेहरें
रातें यें हमारें क्यूं नहीं होतें
दिल किसी और का टूटें भला
और हम यूं ही कहें
ये दर्द हमें क्यूं नहीं होतें
ये जो हैं तुम्हारें अपनें
तो अपनें क्यूं नहीं होतें
बन बैठें हैं सारें तुम्हारें ही
अखबारों में यें इश्तेहार क्यूं नहीं होतें
बनाया गुलाम तो गुलाम ही सही
मगर मगरुर तुम साथ क्यूं नहीं होतें
जुबां फिर दे के वो पलट गए वर्मा
ये आशिकी सफेद क्यूं नहीं होतें
हर बात में झूठ राजनीति हैं
ये आवाज़ अब चुप क्यूं नहीं होतें
ये जो हैं तुम्हारें अपनें
तो अपनें क्यूं नहीं होतें
नितेश वर्मा
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