हैं इंतजाम कुछ ऐसा, के लगा हर इल्ज़ाम मुझपे कुछ ऐसा
मैं मुहब्बत में हूँ जो लगा, मुझपें चढा हैं ये जाम कुछ ऐसा
अब तो वजह की कोई तालाश नहीं, फिरता ये कबीरा जैसा
टूटा तो था नहीं कभी दिल मेरा, जो बताया नाम कुछ ऐसा
नितेश वर्मा
मैं मुहब्बत में हूँ जो लगा, मुझपें चढा हैं ये जाम कुछ ऐसा
अब तो वजह की कोई तालाश नहीं, फिरता ये कबीरा जैसा
टूटा तो था नहीं कभी दिल मेरा, जो बताया नाम कुछ ऐसा
नितेश वर्मा
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