Monday, 13 October 2014

Nitesh Verma Poetry

..तेरी आँखों का जादू..
..मेरे वादों का कूसूर..
..लूट गए सब अपनें..
..यें हिसाबों का दौर..

..सुकूं भी सिमट के आई हैं..
..लबों पे छाई कैसी ये गहराई हैं..
..तुम..
..बस अब तुम ही इन ख्वाबों में..
..चल रही हैं ये ज़िन्दगी..
..तुम्हारें ही बातों में..

..नितेश वर्मा..

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