Monday, 13 October 2014

जानें के बाद [Gujar Jane Ke Baad]

वो तो मुकर के ही गया था मुझसे मिलनें के बाद
अब क्यूं आ गया वो फिर गिर के संभलनें के बाद

ज़िंदा हैं आज़ भी वो मेरे दिल में कालें धुएं की तरह
कब-तक मरूगाँ मैं ज़ख्म-ए-दिल भर जानें के बाद

अब तो मौत की तलाश में हैं ये जां मुक्कमल मेरी
हो जायेगा वो मेरा इस ज़िंदगी के गुजर जानें के बाद

उसकी हर मुस्कान दिल के कोनें में कही ठहरी-सी हैं
अब तक नहीं हैं बिखरा चेहरा आईना टूट जानें के बाद

मुझमें रूठा हैं अब तक वो चेहरा तस्वीर का वर्मा
अब तो परिंदें भी लौट आएं दिन गुजर जानें के बाद

नितेश वर्मा

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