Saturday, 18 October 2014

मौसमों का रूख कितना बदल गया हैं

मौसमों का रूख कितना बदल गया हैं
इंसानों का मुख कितना बदल गया हैं
अब कोई रौशनी बची नहीं यहाँ वर्मा
और बेजुबाँ ये दुनिया कितना बदल गया हैं

नितेश वर्मा

No comments:

Post a Comment