मौसमों का रूख कितना बदल गया हैं
इंसानों का मुख कितना बदल गया हैं
अब कोई रौशनी बची नहीं यहाँ वर्मा
और बेजुबाँ ये दुनिया कितना बदल गया हैं
नितेश वर्मा
इंसानों का मुख कितना बदल गया हैं
अब कोई रौशनी बची नहीं यहाँ वर्मा
और बेजुबाँ ये दुनिया कितना बदल गया हैं
नितेश वर्मा
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