Friday, 20 February 2015

एक तुम ही नहीं और भी हैं वर्मा

एक तुम ही नहीं और भी हैं वर्मा
रंग बदलतें चेहरें और भी हैं वर्मा

बस इतना-सा ख्याल रक्खा करो
दुश्मनी तो उनकी और भी हैं वर्मा

अंज़ान-इरादें,मकसदें अजनबी हैं
नज़र आतें अपनें और भी हैं वर्मा

क्यूं इतनी बेरूखी ओढ रक्खी हैं
नाराज़ शख्स तो और भी हैं वर्मा

नितेश वर्मा


No comments:

Post a Comment