कौन ताश की बाजी में जीतता हैं
जीतता सर भी तो वही गिरता हैं
खेलता हैं ना-जानें खेल कैसा वो
बाजीयाँ पलट के बोल बोलता हैं
बहोतों मुश्क्कत मगर जी रहा हैं
मरना भी ग़रीबी उसे दिखाता हैं
कहिए तो हम भी खामोश रहेगें
सच कितनी कडवी जी दुखता हैं
नितेश वर्मा
जीतता सर भी तो वही गिरता हैं
खेलता हैं ना-जानें खेल कैसा वो
बाजीयाँ पलट के बोल बोलता हैं
बहोतों मुश्क्कत मगर जी रहा हैं
मरना भी ग़रीबी उसे दिखाता हैं
कहिए तो हम भी खामोश रहेगें
सच कितनी कडवी जी दुखता हैं
नितेश वर्मा
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