क्यूं तन्हा दिल ये खुद में यूं बदनाम रहता हैं
जो भी हो अंज़ाम उसका सब सरेआम रहता हैं
उदास होनें के और भी नजानें कितनें हैं बहानें
मग़र ये अंज़ाम इल्ज़ाम बस तेरे नाम रहता हैं
नितेश वर्मा
और
तेरे नाम रहता हैं
जो भी हो अंज़ाम उसका सब सरेआम रहता हैं
उदास होनें के और भी नजानें कितनें हैं बहानें
मग़र ये अंज़ाम इल्ज़ाम बस तेरे नाम रहता हैं
नितेश वर्मा
और
तेरे नाम रहता हैं
No comments:
Post a Comment