Thursday, 19 February 2015

तेरे नाम रहता हैं

क्यूं तन्हा दिल ये खुद में यूं बदनाम रहता हैं
जो भी हो अंज़ाम उसका सब सरेआम रहता हैं

उदास होनें के और भी नजानें कितनें हैं बहानें
मग़र ये अंज़ाम इल्ज़ाम बस तेरे नाम रहता हैं

नितेश वर्मा
और
तेरे नाम रहता हैं

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