Wednesday, 11 February 2015

चाहतें हैं के करें अपना तुझे

मंज़िल से बहोत दूर हैं हम
जानें कितनें मजबूर हैं हम

चाहतें हैं के करें अपना तुझे
मग़र नहीं वो दस्तूर हैं हम

फितरत बदल रहीं हैं उसकी
और सपनें से चकनाचूर हैं हम

जीयें भी तो किसकी खातिर
मग़र हुएं भी मशहूर हैं हम

नितेश वर्मा


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