मंज़िल से बहोत दूर हैं हम
जानें कितनें मजबूर हैं हम
चाहतें हैं के करें अपना तुझे
मग़र नहीं वो दस्तूर हैं हम
फितरत बदल रहीं हैं उसकी
और सपनें से चकनाचूर हैं हम
जीयें भी तो किसकी खातिर
मग़र हुएं भी मशहूर हैं हम
नितेश वर्मा
जानें कितनें मजबूर हैं हम
चाहतें हैं के करें अपना तुझे
मग़र नहीं वो दस्तूर हैं हम
फितरत बदल रहीं हैं उसकी
और सपनें से चकनाचूर हैं हम
जीयें भी तो किसकी खातिर
मग़र हुएं भी मशहूर हैं हम
नितेश वर्मा
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