हो गया हैं शायद कहीं वो उदास मुझसे
पूछों न अब कोई बेमतलब खास मुझसे
मरे मेरे हुनर को अब ना समझनें वालें
हैं गर जो तो सामनें रखों भडास मुझसे
पत्थर दिल वो संग-मरमर सा लगता हैं
पूछता रहता हैं ना-जानें बकवास मुझसे
कोई कानूनी किताब उसने पकड रखी हैं
सर करके लाखों जुर्म के तो लाश मुझसे
नितेश वर्मा
पूछों न अब कोई बेमतलब खास मुझसे
मरे मेरे हुनर को अब ना समझनें वालें
हैं गर जो तो सामनें रखों भडास मुझसे
पत्थर दिल वो संग-मरमर सा लगता हैं
पूछता रहता हैं ना-जानें बकवास मुझसे
कोई कानूनी किताब उसने पकड रखी हैं
सर करके लाखों जुर्म के तो लाश मुझसे
नितेश वर्मा
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