जाने क्यूं मैं इतना रहता परेशान हूँ बहुत
नाउम्मीद हूँ मैं ये देखकर हैरान हूँ बहुत।
किसी किरदार के ख़्वाहिशों में मरते रहे
किसी दास्तान में लिये यूं मैं जान हूँ बहुत।
के आख़िर कब मारा जाऊँगा ख़बर नहीं
शक्लों पे हैं शक्ल मेरे मैं बेईमान हूँ बहुत।
चलो फिर से बारिश से होकर आए वर्मा
मैं ख़ुद उसके गली के दरम्यान हूँ बहुत।
नितेश वर्मा
नाउम्मीद हूँ मैं ये देखकर हैरान हूँ बहुत।
किसी किरदार के ख़्वाहिशों में मरते रहे
किसी दास्तान में लिये यूं मैं जान हूँ बहुत।
के आख़िर कब मारा जाऊँगा ख़बर नहीं
शक्लों पे हैं शक्ल मेरे मैं बेईमान हूँ बहुत।
चलो फिर से बारिश से होकर आए वर्मा
मैं ख़ुद उसके गली के दरम्यान हूँ बहुत।
नितेश वर्मा
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